अंतरद्वन्द
Wednesday, November 20, 2024 कुछ गाँठे थी, उलझी सी,
कई पतंगे एक ही छत से पेंच लड़ा रही थी ,
‘वो काटा’ का शोर ना था,
सुलझाने में मांझा और उलझ गया,
बेताबी में कोनसा काम कामिल होता है |
कई पतंगे एक ही छत से पेंच लड़ा रही थी ,
‘वो काटा’ का शोर ना था,
सुलझाने में मांझा और उलझ गया,
बेताबी में कोनसा काम कामिल होता है |
0 Reactions