तलब ||

Tuesday, April 23, 2013


तेरी तलब है उस तरह जैसे हाथ मे सुट्टा लिए दियासलाई ढूँढ रहा,

अध सोया मैं, ख़्वाब देखता, ये वो जगह है जहा मिलता तुझ से रोज़ मैं,

और यहा हमेशा तुझ से प्यार मैं करुँगा|

बोल पे ना जाना मेरे,

ग़रूर कुछ बाकी है अब भी, बरगालाने के लिए खुद को, जाने क्या क्या कहूँगा,

पर कुछ तलब अधूरी रह जाए तो सही है,

क्यूकी जो हाथ मे है वो जल जाए तो धुआ ही रह जाएगा,

उठ जाता हू बीच मे मैं, नींद अधूरी, ख़्वाब अधूरा, तलब अधूरी, और मैं अधूरा|

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Its My Life

This is what that is going on my life, my happy/ sad memories... At times Its what my mind muses and purges out as poetry when its not thinking anything what it is forced to think!!!

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