क्या ढूंढता है दिल
Saturday, January 12, 2013
क्या ढूंढता है दिल,
हर जगह, देर रात और अल सुबह,
क्या चाहता है, मुझे बता, ये ज़रा,
चुप ना रह इस तरह.
ज़ख़्म है हरे, क्यू तेरे,
ये वक़्त का मलहम कहा गया,
ठूंठ हो गया है तू, याद रख,
परिंदा नही है तुझ से जुड़ा,
उड़ने दे आकाश मे उसे,
उमीद ना तू उस से लगा,
घोसला जो था दरख़्त पे तेरे,
बना लेगी फिर वो कही नया,
क्या ढूंढता है तू दिल,
क्यू नही तू है समझ रहा.
हर जगह, देर रात और अल सुबह,
क्या चाहता है, मुझे बता, ये ज़रा,
चुप ना रह इस तरह.
ज़ख़्म है हरे, क्यू तेरे,
ये वक़्त का मलहम कहा गया,
ठूंठ हो गया है तू, याद रख,
परिंदा नही है तुझ से जुड़ा,
उड़ने दे आकाश मे उसे,
उमीद ना तू उस से लगा,
घोसला जो था दरख़्त पे तेरे,
बना लेगी फिर वो कही नया,
क्या ढूंढता है तू दिल,
क्यू नही तू है समझ रहा.
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