|| मिलेगी ज़मीन ||

Friday, March 23, 2012



हूँ उसी आकाश के नीचे जॅहा नोटो की बारिश हो रही है और मैं अकेला छाता ले कर खड़ा हूँ,

चला था जहाँ से आज भी वहीं पे खड़ा हूँ, फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है के कुछ साल मैं बड़ा हूँ,

मासूमियत छिन चुकी, घमंड बचा नही, आरज़ू इतनी है के रखने की जगह नही,

सुना है समंदर पार जाने को डूबना पड़ता है, मोती ढूँढने को गोता लगाना पड़ता है,

माना भीगे नही कभी हम इस बरसात मे भी, पर है हारने वालो की बिसात में नही,

क्यूकी हार वही जो आप मान लो, कोशिश करने वाले कभी नही हारते ये जान लो,

हवओ के दम पर कश्ती नही चलेगी तो चप्पू मैं चलाऊंगा, बात मुक़द्दर मे नही लिखी तो भी चाहता हूँ वही पाउँगा,

यूँ डूब के, भीग के पार होंगे वो, है होसला अपने परो पे, एक दिन उन्ही बादलो के उपर मैं मंडराउंगा,

गोता नही - उड़ के उस पार मैं जाऊंगा|

Pic By - Me :)

You Might Also Like

0 Reactions

Its My Life

This is what that is going on my life, my happy/ sad memories... At times Its what my mind muses and purges out as poetry when its not thinking anything what it is forced to think!!!

»

My Facebook

My Twitter

My Photography